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*_🌳 मानव सेवा ही,माधव सेवा 🌳_*
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_*एक नगर में बहुत धनवान सेठ रहता था।* वह बहुत सी फैक्ट्रियों का स्वामी था! लेकिन था...! पक्का नास्तिक...! *ईश्वर को बिल्कुल नहीं मानता था।*_
_एक सायंकाल अचानक उसे बहुत बैचेनी होने लगी।_
_डॉक्टर को बुलाया गया- सारी जाँचें करवा ली, परन्तु कुछ भी नहीं निकला।_
*_उसकी बैचेनी बढ़ती गयी।_*
_उसके समझ में नहीं आ रहा था- कि ये क्या हो रहा है।_
_रात्रि हुई,नींद की गोलियां भी खा ली- पर ना नींद आने को तैयार,और ना ही बैचेनी कम होने का नाम ले।_
_वो रात्रि को उठकर- *तीन बजे घर के बगीचे में घूमने लगा।* घूमते -घूमते उसे लगा कि बाहर थोड़ी शांति है- तो वह बाहर सड़क पर पैदल निकल पड़ा।_
_चलते- चलते हजारों विचार मन में चल रहे थे। अब वो घर से बहुत दूर निकल आया था।_
_और थकान की वजह से एक चबूतरे पर बैठ गया।_
_*उसे थोड़ी शान्ति मिली, तो वह आराम से बैठ गया।*_
_इतने में एक कुत्ता आया- और उसकी चप्पल उठाकर ले गया। सेठ ने देखा- तो वह दूसरी चप्पल उठाकर कुत्ते के पीछे भागा।_
_कुत्ता पास ही बनी झुग्गी-झोपडि़यों में घुस गया। सेठ भी उसके पीछे था, सेठ को समीप आता देखकर कुत्ते ने चप्पल वहीं छोड़ दी,और चला गया।_
_सेठ जी ने चैन की सांस ली- और अपनी चप्पल पहनने लगा।_
_इतने में उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी।_
_वह और समीप गया तो एक झोपड़ी में से आवाज आ रहीं थीं।_
_उसने झोपड़ी के फटे हुए बोरे में झाँक कर देखा- तो वहाँ एक औरत फटेहाल मैली सी चादर पर दीवार से सटकर रो रही हैं।_
_और ये बोल रही है,*हे भगवान!! मेरी सहायता करो ओर रोती जा रहीं है।*_
_*सेठ के मन में आया- कि यहाँ से चले जाओ,कहीं कोई गलत ना सोच लें।*_
_वो थोड़ा आगे बढ़ा तो उसके दिल में विचार आया कि- *आखिर वो औरत क्यों रो रहीं हैं...?* उसकी समस्या क्या है....…?_
_*आखिर सेठ जी ने अपने दिल की सुनी-* और वहाँ जाकर द्वार खटखटाया।_
_उस औरत ने द्वार खोला- और सेठ को देखकर घबरा गयी।_
_सेठ ने हाथ जोड़कर कहा तुम घबराओं मत! मुझे तो बस इतना जानना है- *कि तुम रो क्यों रही हो।*_
_औरत की आखों से आँसू टपकने लगे- और उसने पास ही *गुदड़ी में लिपटी हुई 7-8 साल की बच्ची* की ओर संकेत किया।_
_और रोते -रोते कहने लगी कि मेरी बच्ची बहुत ज्यादा बीमार है- उसके इलाज में- बहुत व्यय होगा।_
_मैं तो घरों में जाकर झाड़ू -पोछा करके,जैसे- तैसे हमारा पेट पालती हूँ।_
_मैं कैसे उपचार कराऊं- इसका ?_
_सेठ ने कहा: तो किसी से माँग लो! इसपर औरत बोली: मैने सबसे माँग कर देख लिया- *व्यय बहुत अधिक है,* कोई भी देने को तैयार नहीं।_
_सेठ ने कहा: तो ऐसे रात को रोने से मिल जायेगा क्या....?_
_औरत ने कहा: कल एक संत यहाँ से गुजर रहे थे- तो मैने उनको मेरी समस्या बताई- *तो उन्होंने कहा: बेटा...!*_
_*तुम सुबह 4 बजे उठकर अपने ईश्वर से माँगो।* आसन बिछाकर बैठ जाओ- और रो कर, गिड़गिड़ा कर,उससे सहायता माँगो- वो सबकी सुनता है- *तो तुम्हारी भी सुनेगा।*_
_मेरे पास इसके सिवाय कोई चारा नहीं था। *इसलिए मैं उससे माँग रही थीं-* और वो बहुत जोर से रोने लगी।_
_*ये सब सुनकर सेठ का दिल पिघल गया* और उसने तुरन्त फोन लगाकर एम्बुलेंस बुलवायी-और उस लड़की को एडमिट करवा दिया।_
_*डॉक्टर ने डेढ़ लाख का खर्चा बताया* तो सेठ ने उसकी जवाबदारी भी अपने ऊपर ले ली,और उसका पूरा इलाज कराया।_ _उस औरत को अपने यहाँ नौकरी देकर- अपने बंगले के सर्वेन्ट क्वाटर में जगह दी!और उस लड़की की पढ़ाई का जिम्मा भी ले लिया।_
_सेठ कर्म प्रधान तो था- पर *नास्तिक* था। अब उसके मन में सैकड़ो सवाल चल रहे थे।_
_*क्योंकि उसकी बैचेनी तो उस वक्त ही खत्म हो गयी थी- जब उसने एम्बुलेंस को बुलवाया था।*_
_वह यह सोच रहा था- कि आखिर कौन सी ताकत है-जो मुझे वहाँ तक खींच ले आई ?_
*_क्या यही ईश्वर हैं.....?_*
_और यदि ये ईश्वर है तो सारा संसार आपस में धर्म, जात-पात के लिये क्यों लड़ रहा है...? क्योंकि ना मैने उस औरत की जात पूछी और ना ही ईश्वर ने जात-पात देखी।_
_बस *ईश्वर ने तो उसका दर्द देखा-* और मुझे इतना घुमाकर उस तक पहुंचा दिया।_
_अब सेठ समझ चुका था कि *कर्म के साथ सेवा भी कितनी जरूरी है-* क्योंकि इतनी शांति उसे जीवन में कभी भी नहीं मिली थी!_
*_मानव और प्राणी-मात्र की सेवा का धर्म ही असली भक्ति हैं_*
*_यदि ईश्वर की कृपा पाना चाहते हो- तो मानवता अपना लो- और समय-समय पर उन सबकी सहायता करो,जो लाचार या बेबस है। क्योंकि "ईश्वर इन्हीं के आस-पास रहता हैं "।।_*
*_🌸 जय श्री राधे 🌸_*
*_🪴।।जय जय श्री राम।। 🪴_*
*_🪷 ।।हर हर महादेव।। 🪷_*
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