नदी जोड़ परियोजनाओं और गांव स्तर पर जल संरक्षण कार्यों से महाराष्ट्र की जल समस्या पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाएंगे”
– मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
तीन दिवसीय विदर्भ जल परिषद का शुभारंभ
बलिराजा योजना के अंतर्गत 20 हजार गांवों की बदली तस्वीर
तापी पुनर्भरण और वैतरणा-नलगंगा नदी जोड़ परियोजना से खेती को मिलेगा स्थायी जल
नागपुर, 07 जून: महाराष्ट्र की जल समस्या को हल करने के लिए बड़े बांधों के साथ-साथ नदी जोड़ परियोजनाएं, जल संरक्षण, जल पुनर्भरण, जल पुन:उपयोग और अन्य छोटे-बड़े परियोजनाओं का समन्वय जरूरी है। इसी दृष्टिकोण से पश्चिमी प्रवाही नदियों के समुद्र में बहने वाले 54 टी.एम.सी. पानी को गोदावरी बेसिन में लाने का हमने संकल्प लिया है। साथ ही नलगंगा–वैनगंगा नदी जोड़ परियोजना के माध्यम से विदर्भ के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी पहुंचाया जा रहा है। तापी बेसिन का जो 35 टी.एम.सी. पानी गुजरात के रास्ते समुद्र में बह जाता है, वह पानी अब तापी बेसिन में ही रोकने की योजना है। इस परियोजना से भविष्य का महाराष्ट्र एक जलसंकट से उबरने वाला सफल राज्य बनकर उभरेगा, ऐसा प्रतिपादन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया।
मुख्यमंत्री श्री फडणवीस वनामती सभागृह में आयोजित तीन दिवसीय विदर्भ जल परिषद के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे, जो राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग और जनकल्याणकारी समिति नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। इस अवसर पर विधायक डॉ. परिणय फुके, प्रभारी कुलपति डॉ. माधवी खोडे चवरे, गोंडवाना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रशांत बोकारे, पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नितिन पाटील, लक्ष्मीनारायण अभिनव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अतुल वैद्य, वनामती के निदेशक डॉ. वसुमना पंत, विदर्भ सिंचन विकास महामंडल के संचालक राजेश सोनटक्के, भूजल सर्वेक्षण उपसंचालक डॉ. चंद्रकांत भोयर, राष्ट्रीय मृदा विज्ञान ब्यूरो के निदेशक डॉ. नितिन पाटील, प्र-कुलपति डॉ. सुभाष कोंडावार, कृषि सह-संचालक डॉ. उमेश घाटगे, कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे आदि मान्यवर उपस्थित थे।
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