*🌹जीवन दर्शन🌹*
आरती की थाली में प्रायः तीन चीजें होती हैं, जिनको हम लगभग एक साथ जलाते हैं *कपूर, धूप और दीप*।
कपूर शीघ्र जल जाता है ,
धूप काफी देर तक जलती है और दीप🪔 और अधिक समय तक।
कई बार सोचा कि इसके पीछे क्या आध्यात्मिक दर्शन हो सकता है।
एक दिन चिंतन में स्पष्ट हुआ कि
कपूर हमारे सुख का प्रतीक है,सुख बीतते समय नहीं लगता।
धूप हमारे दुःख का प्रतीक है जो हमारे मन को लंबे समय तक सालता रहता है,यानी व्यथित करता रहता है
🪔दीप हमारे आनन्द का प्रतीक है क्योकि एक बार जलने के बाद सबसे अधिक दीप ही टिकता है, इसलिए ही अखण्ड 🪔 दीप की अवधारणा ने जन्म लिया।
इसलिए कई लोग अखण्ड 🪔 दीप जलाते हैं।
इसका अर्थ है कि जीवन में अखण्ड आनन्द की कामना हम सभी करते हैं।
कभी आपने सुना कि अखंड कपूर जलाया जाता हो या अखण्ड धूप जलाई जाती हो ?
*नहीं, भारतीय मनीषा सुख और दुःख की अवधारणा से मुक्त हो कर अखण्ड आनन्द की कामना की अवधारणा की पोषक है।*
उस दिन आरती की थाली में जलने वाली इन तीन वस्तुओं का रहस्य समझ आया।
आज मन किया कि
इस चिंतन मणि से आपका भी परिचय करवा दूं.....
लोग प्रायः नवरात्रि को अखण्ड दीप जलाते हैं।
*आज आपने अखण्ड दीप का अर्थ जान लिया..*
*अर्थात अखण्ड आनन्द।।*
*शुभ स्वस्थ जीवन स्वजन*
*सर्वे भवन्तु सुखिनः.......*
*शुभ मंगल दर्शन/सोच को नमन*
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