*कल हम भी*
*बारिश में छपाके*
*लगाया करते थे...*
*आज इसी बारिश में*
*कीटाणु देखना सीख गये!!*
*कल बेफिक्र थे कि*
*माँ क्या कहेगी*
*आज बारिश से*
*मोबाइल बचाना सीख गये!!*
*कल दुआ करते थे कि*
*बरसे बेहिसाब*
*तो छुट्टी हो जाए...*
*अब डरते हैं कि रुके ये बारिश*
*कहीं दफ़्तर ना छूट जाये!!*
*किसने कहा कि*
*नहीं आती वो*
*बचपन वाली बारिश...*
*हम ख़ुद अब काग़ज़ की*
*नाव बनाना भूल गए!!*
*बारिश तो अब भी बारिश ही है*
*बस हम अपना ज़माना भूल गये ......*
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