*जीवन कृपया इस तस्वीर को झूम करके देखें। ऐसा लगता है, मानों कोई* *व्यक्ति* *बैठकर पुस्तक पढ़ रहा है या प्रार्थना कर रहा है।* *परन्तु वास्तव में ये अलग अलग पत्थर मात्र हैं और इनका कोई* *आपसी सम्बन्ध नहीं है, लेकिन दूर से एक रेखा में देखने से ऐसा आभास होता है* कि *जैसे कोई बैठा हो !*
*जीवन भी इसी तरह का है। जो जैसा दिखता है, वो वैसा होता नहीं है और* जो *जैसा है, वह वैसा दिखता नहीं है। कभी उसके* *व्यक्तित्व के कारण और कभी हमारे दृष्टिकोण के कारण...*
*आपका मंगल हो* 🌹🙏
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