Tuesday, 4 February 2025

प्रत्येक कार्यालय में महिलाओं की शिकायत निवारण के लिए समिति गठित न करने पर ५० हजार जुर्माना

 प्रत्येक कार्यालय में महिलाओं की शिकायत निवारण के लिए

 समिति गठित न करने पर ५० हजार जुर्माना

– जिलाधिकारी संजय यादव

मुंबईता. ३१ : कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए बने कानून के अनुसारसभी सरकारीअर्ध-सरकारी और निजी कार्यालयों व प्रतिष्ठानों में आंतरिक शिकायत निवारण समिति का गठन अनिवार्य है। यदि समिति गठित नहीं की गई तो ५० हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगाऐसी जानकारी मुंबई शहर के जिलाधिकारी संजय यादव ने दी है।

जिस कार्यालय में दस या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैंवहां यह समिति गठित करना आवश्यक होगा। इस समिति में कार्यालय की वरिष्ठ महिला को अध्यक्ष नियुक्त किया जाएसाथ ही सामाजिक कार्य का अनुभव रखने वाले या कानून की जानकारी रखने वाले दो कर्मचारी सदस्य बनाए जाएं। इसके अलावामहिलाओं के मुद्दों से जुड़ी किसी गैर-सरकारी संस्था के एक सदस्य को भी समिति में शामिल करना अनिवार्य होगा।

साथ हीप्रत्येक कार्यालय को यह अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करना होगा कि आंतरिक शिकायत समिति गठित की गई है। यह सूचना कार्यालय के प्रमुख स्थान पर एक बोर्ड के माध्यम से दी जानी चाहिए। इसके अलावाइस अधिनियम के अनुसारप्रत्येक तीन वर्षों में समिति का पुनर्गठन करना भी आवश्यक होगा।

यह जानकारी कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार जिले के उप-जिल्हाधिकारी (सा.प्र.) एवं जिलाधिकारी गणेश सांगळे ने दी।

इन कार्यालयों में आंतरिक शिकायत समिति गठित करना अनिवार्य

 

कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित अधिनियम के अनुसारप्रत्येक सरकारी/अर्ध-सरकारी कार्यालयसंगठननिगमप्रतिष्ठानसंस्थान और शाखाएंजिन्हें सरकार ने स्थापित किया है या जिनका नियंत्रण सरकार के पास हैया जिन्हें प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी निधि प्राप्त होती हैउन सभी प्रतिष्ठानों में यह समिति गठित करना अनिवार्य है।

इसके अलावानिजी क्षेत्र के संगठनोंउद्यमोंगैर-सरकारी संगठनोंसोसायटीट्रस्टउत्पादनवितरण और बिक्री से जुड़े व्यवसायोंवाणिज्यिकव्यावसायिकशैक्षणिकमनोरंजनऔद्योगिकस्वास्थ्य सेवाओंवित्तीय कार्योंअस्पतालोंनर्सिंग होमखेल संस्थानोंऑडिटोरियमखेल परिसरों आदि सभी स्थानों पर भी यह समिति बनाना आवश्यक है।

इस संबंध में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी शोभा शेलार ने कहा कि अधिनियम में उल्लिखित सभी सरकारी और निजी कार्यालयों में इस समिति का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।

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