Sunday, 27 April 2025

रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय में ‘दीनदयाल उपाध्याय अध्यासन’ की स्थापना की जाएगी

 रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय में

 ‘दीनदयाल उपाध्याय अध्यासन’ की स्थापना की जाएगी

        -राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन की घोषणा

 

मुंबईदिनांक 26: पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने साम्यवाद और पूंजीवाद के बीच संतुलन साधते हुए ‘एकात्म मानवतावाद’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया था। उनके विचार युवाओं तक पहुँचाने के उद्देश्य से रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय अध्यासन’ की स्थापना की जाएगीऐसी घोषणा राज्यपाल तथा विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सी. पी. राधाकृष्णन ने की।

 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मुंबई के रुईया महाविद्यालय में 22 से 25 अप्रैल 1965 के दौरान एकात्म मानवतावाद’ विषय पर व्याख्यान दिए थे। इस व्याख्यानमाला के हीरक जयंती महोत्सव के अवसर पर रुईया महाविद्यालय में आयोजित चर्चा सत्र को राज्यपाल राधाकृष्णन ने संबोधित किया। कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयलकौशल एवं रोजगार मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ाराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सुरेश सोनीदीनदयाल शोध संस्थान के महासचिव अतुल जैन तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे।

 

राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा किसाधारण जीवनशैली और उच्च विचारों वाले उपाध्याय जी के विचारों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यों के माध्यम से साकार किया। वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माणगरीबों को गैस कनेक्शनपेयजल योजनाएं इसी का परिणाम हैं। कोरोना काल में यदि पश्चिमी देशों ने टीका विकसित किया होतातो उसकी कीमत आम जनता की पहुँच से बाहर होती। लेकिन भारत ने अपने देशवासियों को निःशुल्क कोरोना टीका उपलब्ध कराया और कई अन्य देशों को भी नि:शुल्क टीका प्रदान किया। यह सर्वसमावेशी सोच प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय से ही प्रेरित होकर अपनाई हैऐसा राज्यपाल श्री. राधाकृष्णन ने कहा।

 

राज्यपाल श्री. राधाकृष्णन ने यह भी कहा किवास्तविकता का ध्यान रखते हुए अन्न को बर्बाद नहीं करना चाहिएप्रत्येक व्यक्ति को धन अर्जन करना चाहिए लेकिन अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए और केवल अपने लिए नहींबल्कि दूसरों के लिए भी जीना चाहिए, यह पंडित दीनदयाल उपाध्याय का विचार हमें अपनाना चाहिए।

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