राज्य की 560 गौशालाओं के बैंक खातों में ₹25.44 करोड़ का अनुदान जमा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऑनलाइन किया वितरण
मुंबई, 28 मार्च : महाराष्ट्र की 560 गौशालाओं के बैंक खातों में देशी गोवंश पोषण योजना के तहत ₹25.44 करोड़ का अनुदान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा ऑनलाइन जमा किया गया।
यह अनुदान जनवरी, फरवरी और मार्च के तीन महीनों के लिए दिया गया है। इस योजना के तहत, प्रति गाय प्रति दिन ₹50/- दिए जाते हैं। पहले चरण में, महाराष्ट्र गोसेवा आयोग के माध्यम से राज्य की 560 गौशालाओं में 56,569 गायों के पालन-पोषण के लिए ₹25.45 करोड़ की राशि वितरित की गई।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने महाराष्ट्र गोसेवा आयोग के इस कार्य की सराहना की और कहा कि देशी गोवंश का संरक्षण समय की जरूरत है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। उन्होंने इस योजना का लाभ अधिक से अधिक गौशालाओं को देने के लिए आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों की भी सराहना की।
पशुपालन मंत्री पंकजा मुंडे ने भी आयोग के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह योजना देशी गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
योजना की आवश्यकता और उद्देश्य:
देशी गायों की उत्पादन क्षमता कम होने के कारण उनका पालन-पोषण आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं माना जाता। भाकड़ (गैर-उत्पादक) गायों का रखरखाव भी पशुपालकों के लिए मुश्किल होता है, जिसके चलते वे इन्हें गौशालाओं में रखते हैं। ऐसे गौशालाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए महाराष्ट्र गोसेवा आयोग ने गोवंश पोषण योजना शुरू की है, जिसके तहत प्रति गाय प्रति दिन ₹50/- का अनुदान दिया जाता है।
अब तक इस योजना से 560 गौशालाओं को सीधा लाभ मिला है, ऐसा महाराष्ट्र गोसेवा आयोग के अध्यक्ष शेखर मुंदडा ने बताया।
ऑनलाइन अनुदान वितरण के दौरान उपस्थित गणमान्य:
इस मौके पर आयोग के अध्यक्ष शेखर मुंदडा, राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक और महाराष्ट्र गोसेवा आयोग के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
योजना का स्वरूप:
महाराष्ट्र गोसेवा आयोग में पंजीकृत गौशालाओं के लिए अनुदान उपलब्ध होगा।
भारत पशुधन प्रणाली में पंजीकृत देशी गायों के पालन-पोषण के लिए ₹50 प्रति दिन प्रति गाय दिया जाएगा।
अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्रता शर्तें:
गौशाला, गोसदन, पांजरपोळ या गोरक्षण संस्था महाराष्ट्र गोसेवा आयोग में पंजीकृत होनी चाहिए।
संस्था को कम से कम तीन वर्षों का गो-संगोपन का अनुभव होना चाहिए।
गौशाला में कम से कम 50 गोवंशीय पशु होने चाहिए।
ईयर टैगिंग (कानों पर पहचान टैग) अनिवार्य है।
संस्था का राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता होना चाहिए
No comments:
Post a Comment