विद्यार्थी डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपनाकर लक्ष्य प्राप्त करें
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई ने कहा कि स्वयं का विकास करते हुए समाज के पिछड़े वर्गों को आगे बढ़ाने के महान विचार भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भारतीयों को दिए। इन विचारों को अपनाकर छात्रों को अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए। डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय की स्थापना और विकास में दादासाहेब गायकवाड़, दादासाहेब गवई, दादासाहेब कुंभारे, सदानंद फुलझेले का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, यह बताते हुए उन्होंने महाविद्यालय की यात्रा की विभिन्न स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों को अपनाना और उनके मार्ग पर चलना ही उन व्यक्तियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अपना जीवन डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय के लिए समर्पित किया।
उन्होंने यह भी स्मरण किया कि 1981 में धम्म परिवर्तन के रजत महोत्सव वर्ष में जब मुंबई से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की अस्थियां नागपुर आईं, तो यहां की जनता ने उसका उत्साहपूर्वक स्वागत किया, जो इस शहर की सर्वधर्म समभाव की पहचान है। रजत महोत्सव धम्म परिवर्तन समारोह के लिए कवि सुरेश भट द्वारा रचित "भीम वंदना" का वाचन करके उन्होंने अपने भाषण का समापन किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई के हाथों मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का सत्कार किया गया। डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय के पांच छात्रों को, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है, मुख्यमंत्री श्री फडणवीस और मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के हाथों सम्मानित किया गया।
डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. दीपा पाणेकर ने प्रास्ताविक और आभार प्रदर्शन किया जबकि प्राध्यापक डॉ. विद्या चोरपगार ने कार्यक्रम का संचालन किया।
No comments:
Post a Comment