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बूढ़ी ही नहीं होती मेरी कोई सहेली
और ना मुझको है इजाजत
कि हो जाऊँ मैं भी बूढ़ी।
सच्चाई में ढली हैं ,
सब अब भी मनचली हैं
कृपा है सब पे ईश्वर की ,
चट्टान-सी सब खड़ी हैं ।
ना दर्द कोई दिल में ,
छा जाऐं वो महफिल में।
वो सबके काम आयें ,
जो भी कहीं मुश्किल में।
ना है कोई घमंडी ,
ना पैसे का ग़ुरूर उनको।
यारों के काम आयें ,
बस ये सुरुर उनको।
इक दूसरे पे जान ये ,
छिड़कती हैं सब की सब।
मिलते ही ये कहेंगी ,
फिर,अब मिलेंगे कब ?
कोई पी रही है ग्रीन टी,
कोई बन गयी है साधिका ।
पर सब जी रही हैं ,
मस्ती में उड़ रही है ।
बालों में डाई सबके ,
ज्वेलरी भी सबसे हटके।
लाली ये आत्मबल की ,
चेहरे पे छाई सबके ।
बच्चे हैं कामकाजी ,
बहू बेटियाँ सयानी।
पर देवानंद से रनबीर तक ,
ये सबकी हैं दीवानी ।
हे प्रभु , मेरे भगवन,
इन सबको स्वस्थ रखना ।
जितनी थीं कभी पहले ,
इन्हें और मस्त रखना ।
बूढ़ी ही नहीं होती मेरी कोई सहेली।
और न मुझको है इजाज़त
कि हो जाऊँ मैं भी बूढ़ी।।
🙏🏻 *सहेलियॉ को समर्पित* 🙏🏻
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
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